Sunday, 1 September 2013

खाद्य सुरक्षा बिल का सच --

खाद्य सुरक्षा बिल का सच ---
- अनाज के बजाय शराब ज़रूर सर्वत्र उपलब्ध है. अनाज की सीमा तो सरकार ने 5की. तय कर दी है जो सही नहीं है.
- आज़ादी के ६५ वर्षों बाद भी सारी दुनिया के एक तिहाई भूखे भारत में है. 
- सबसे ज़्यादा भूख चीन में कम हुई है , जहां लोकतंत्र नहीं है. इससे लोकतंत्र पर सवाल खडा होता है.
- सारी दुनिया में भूखों की संख्या में 67 वे पायदान पर भारत है.
- अब भारत में किसानों की बजाय मजदूरों की संख्या अधिक हो गई है. 55% की जगह आज मात्र 24 % किसान है. 30 % मजदूर है.
- किसान कभी कटोरा नहीं उठाता . पर जो किसान मजदूर बन कर शहर की और पलायन करते है , वे भूख के कारण कटोरा उठाने को मजबूर हो जाते है. गाँव खाली हो रहे है और शहर झुग्गियों के कारण बदहाल हो रहे है .
- काला हांडी जो भूख और गरीबी के कारण कुख्यात है. उस क्षेत्र में ऐसे भी १५-१६ गाँव है , जहां भूख से कोई नहीं मरा. वहां के एक बुज़ुर्ग ने कुछ वर्ष पूर्व एक कम्युनिटी फ़ूड बैंक बनाया. गाँव के किसान कुछ धान बैंक में जमा करते थे. पहले वर्ष 20 की. धान जमा हुआ.
- जो भी भूखा हो वह उस बैंक में जा कर धान मांगेगा और कटाई के समय काम करेगा और साथ ही धान वापस करेगा और एक कटोरा धान ब्याज होगा.
- उस बैंक में आज २५० क्विंटल ग्रेन अनाज है. वहां जब चक्रवाती तूफ़ान आया तो वही बैंक सबसे बड़ा सहारा बना . वह गाँव आत्म निर्भर हो चुका था.
- अंग्रेजों के आने के पहले हर गाँव में यहीं प्रथा थी.
- पटना में एक बहुत बड़ा गोला है , जो पुराने ज़माने में फ़ूड बैंक थी.
- इस देश के साढे छः लाख गाँवों में से साढे पांच लाख गाँवों में खेती होती है. वे ऐसा बैंक बना कर आत्मनिर्भर हो सकते है.
- सरकारी आंकड़े कहते है की वे 67 % गरीबों को खाद्य सुरक्षा देंगे , पर योजना आयोग के अनुसार गरीब तो 21 % ही है.ये आंकड़े कहीं जमते नहीं है. गरीबी की रेखा तो विवादास्पद है ही .
- सरकार २०१४ के चुनाव के पहले अनाज की बजाय नकद रकम या कूपन देगी . किसी भी दूकान से अनाज खरीदा जा सकेगा .
- राशन के दुकानों की ज़रुरत नहीं रहेगी. सरकार अनाज नही खरीदेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य की ज़रुरत नहीं रहेगी .
- FCI में पडा हुआ अनाज वायदा बाज़ार में लगाया जाएगा , जिससे अनाज की कीमतें बढेंगी .
- गाँव के किसान के हाथ ना जमीन , ना ही खाद्यान्न होगा .
- इससे कोर्पोरेट्स ही फायदे में रहेंगे. कूपन के बदले ये बड़े बड़े स्टोर्स अनाज बेचेंगे. यहीं बाहर के देशों में हो रहा है. और वहां भी किसान खेती से बाहर हो रहे है और उद्योगपति लाभ उठा रहें है .
- छत्तीसगढ़ में इसका अच्छा सकारात्मक उदाहरण है. गाँव में ही उत्पादन हो , खपत हो , और वितरण हो. पंचायत को इसका नियंत्रण दे दिया गया है. आज छत्तीसगढ़ अपना सरप्लस अनाज दुसरे राज्यों को बेच रहा है. इसके लिए विष मुक्त ऋषि खेती अपनाने की ज़रुरत है.
- इस खाद्य सुरक्षा बिल के कुचक्र से बाहर निकलना हो तो चुप ना रहे , आवाज़ उठाये. इससे गरीबों को कोई लाभ नहीं होगा , बल्कि गरीबी बढ़ेगी.

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